THE GREATEST GUIDE TO MAHA KALI SIDDHA KAVACH

The Greatest Guide To maha kali siddha kavach

The Greatest Guide To maha kali siddha kavach

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पादोदकेन पिष्ट्वा तल्लिखेल्लोहशलाकया ।।

Om to the armour of Mahakali , the sage is Bhairava , the meter is anushtup , the goddess is Maha Kali and it is getting read to destroy all types enemies.

With the assistance of Maha Kali Mantras, you can achieve the unattainable. You'll be able to attain a good financial posture and remove all debts. You'll find the love of your daily life and might obtain results each of the way.

Who is Goddess Kali

Maine suna h Kali ma apne bhakto k dard ko bhut jldi sunti h kripya mera margdarshan kriye koi k m unki puja kaise kru

क्रीं हूं ह्नीं त्र्यक्षरी पातु चामुण्डा ह्रदयं मम ।

She is additionally witnessed given that the divine protector as well as the 1 who bestows moksha, or salvation. Kali is often portrayed as standing or dancing on her consort, the Hindu god Shiva, who lies quiet and prostrate beneath her. Kali is likewise the feminine method of Kala, an epithet of Shiva, and therefore the consort of Shiva.

ॐ ह्नीं क्रींमे स्वाहा पातु जानुनी click here कालिका सदा ।

The reading through of the Kavach removes every one of the fears of the aspirant and grants him victory just about everywhere. These types of an individual stays no cost from infirmities and it is very long-aged; even those who are weak develop into strong.

श्री जगन्मङ्गलं नाम कवचं मंत्र विग्रहम् ॥

जैसे मैं महादेव को अपना गुरु मानती हुँ



सर्वदेवस्तुते देवि कालिके त्वां नमाम्यहम् ।। ।। रूद्रयामल तन्त्रोक्तं कालिका कवचं समाप्त:।।

महाकाली, महाकाल की वह शक्ति है जो काल व समय को नियन्त्रित करके सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन करती हैं। आप दसों महाविद्याओं में प्रथम हैं और आद्याशक्ति कहलाती हैं। चतुर्भुजा के स्वरूप में आप चारों पुरूषार्थों को प्रदान करने वाली हैं जबकि दस सिर, दस भुजा तथा दस पैरों से युक्त होकर आप प्राणी की ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों को गति प्रदान करने वाली हैं। शक्ति स्वरूप में आप शव के उपर विराजित हैं। इसका अभिप्राय यह है कि शव में आपकी शक्ति समाहित होने पर ही शिव, शिवत्व को प्राप्त करते हेैं। यदि शक्ति को शिव से पृथक कर दिया जाये तो शिव भी शव-तुल्य हो जाते हैं। शिव-ई = शव । बिना शक्ति के सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और शिव शव के समान हैं। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि इस सम्पूर्ण सृष्टि में शिव और शक्ति ही सर्वस्व हैं। उनके अतिरिक्त किसी का कोई आस्तित्व नहीं है।

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